...

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हालात सुधर जाते हैँ
हालात सुधर जाते हैँ =
कितने संकट आ जाते हैं
और हालात सुधर जाते हैं।
गगन में बादल घिर जाते हैं
डरा -डरा कर उड़ जाते हैं।
बारिश भी बदल कर जाते हैं
एक नया चित्र दे जाते हैं।
वीर धीर नहीं डर जाते हैं
सचेत हो कर्तव्य निभाते हैं।
मातृभूमि का मान रखाते हैं
मानवता के प्राण बचाते हैं।
महान कब खुद को जी पाते हैं
नदियां पेड़ सूरज देखे जाते हैं।
सच्चे दिल से जब मनाते हैं
भगवान अवतारी हो आते हैं।
जब जब अच्छे दिन आते हैं
बंजर भूमि पर फूल आ जाते हैं।
जो मानवता को रुलाते हैं
वे कभी चैन कहां पाते हैं।
धरती पुत्र कर्तव्य निभाते हैं
और संकट को दूर भगाते हैं।
शुद्ध वायु हेतु हम वृक्ष लगाते हैं
प्रकृति पूजन का प्रण कराते हैं।
कदम हर कदम साथ निभाते हैं
इस तरह इंसानियत को बढ़ाते हैं।
कितने संकट आ जाते हैं
और हालात सुधर जाते हैं।
पूनम पाठक बदायूँ
इस्लामनगर उत्तर प्रदेश
08.05.21
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