...

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इश्क का इजहार
मैं इश्क का इजहार सरेआम कर रहा हूं
उसे लगता है उसे बदनाम कर रहा हूं।।

शक की नजरों से देखा जाता हूं हर गली
उसे लगता है उसकी आबरू नीलम कर रहा हूं।।

जिंदगी बर्बाद कर ली कोई भाव नहीं रहा मेरा
उसे लगता है भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा हूं।।

नजरों में रहूं उसकी शामों सुबह सपनों में आऊं
शहर के सारे अनजान रास्ते आम कर रहा हूं।।

दिल की बातें जुबां न सही आँखें बयां कर रही हैं
फिर भी उसे लगता है उसे बदनाम कर रहा हूं।।