बंधन🌹🌿
गिर जाते हो मेरी नजरों से अक्सर
जब तुम मुझपर
अपना विश्वास बना नहीं पाते..
घृणा सी होती है तुमसे जाने क्यों
जब तुम मुझे दिल से अपना नहीं पाते..🌹🌿
लम्हे लम्हे ..
की कसक और उभर आती है तब
जब तुम्हारी नजरें.. मेरे ........अस्तित्व
को लांछन.. लगाती हैं .......
क्यूं तुम ?
मेरे "वजूद" को पहचान नहीं पाते....
एक "ह्रदय"
मेरे पास भी है ये जान नहीं पाते.......🌹🌿
रोज क्यों ??
तुम्हें..अग्नि.. परीक्षा चाहिए मेरी....
क्यूं ये सिंदूरी
रस्मों में, रहूं उम्र भर मैं घिरी....
मुझे भी चाहिए एक खुला आसमां
एक उन्मुक्त जमीं ...
नहीं सही जाती अब
जिंदगी को न जी पाने की कमी.......🌹🌿
कसक
मेरे सीने में भी उठती है.. कि उड़ जाऊं...
कभी लगता है कि ओझल
तुम्हारी नजरों से मैं...हो जाऊं....
सारे नाते भुला बैठी
तुम संग जुड़ा जब से रिश्ता....
खो दिए जीवन के अनमोल पल कितने ही
जब से तुम बने मेरे जीवन का हिस्सा...🌹🌿
या तो तुम मुझे समझ नहीं पाते या.... ?
मैं तुम्हें समझा नहीं पाती......?
मगर ये सच है कि तुम्हारी इन हरकतों से
मैं तुम्हें जरा भी नहीं चाहती.....
काश ! मुझे परखने की बजाय..
तुम मेरा होने की कोशिश करते.....
भुला के शक और संशय के बीज
मुझे अपना बनाने की चाहत रखते ....🌹🌿
चलो कोई बात नहीं अब और क्या
शिकायत खुद से या तुमसे करूं .........
ये समाज के बनाए नियम हैं......या किस्मत..?
ताउम्र .....ना चाहते हुए भी मैं सहूं.....
पिंजरे में कैद ये छटपटाहट मेरी
काश ! नजरों में तेरी आ जाए कभी....🌹🌿
🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹
जब हम उदास होते हैं तो संगीत बहुत साथ देता है 😊क्या आपके साथ भी ऐसा होता है ?
मेरा पसंदीदा गाना 🌷🌷अजीब दास्तां है कहां शुरू कहां खत्म ..........🌹🌿
© स्वस्तिका
जब तुम मुझपर
अपना विश्वास बना नहीं पाते..
घृणा सी होती है तुमसे जाने क्यों
जब तुम मुझे दिल से अपना नहीं पाते..🌹🌿
लम्हे लम्हे ..
की कसक और उभर आती है तब
जब तुम्हारी नजरें.. मेरे ........अस्तित्व
को लांछन.. लगाती हैं .......
क्यूं तुम ?
मेरे "वजूद" को पहचान नहीं पाते....
एक "ह्रदय"
मेरे पास भी है ये जान नहीं पाते.......🌹🌿
रोज क्यों ??
तुम्हें..अग्नि.. परीक्षा चाहिए मेरी....
क्यूं ये सिंदूरी
रस्मों में, रहूं उम्र भर मैं घिरी....
मुझे भी चाहिए एक खुला आसमां
एक उन्मुक्त जमीं ...
नहीं सही जाती अब
जिंदगी को न जी पाने की कमी.......🌹🌿
कसक
मेरे सीने में भी उठती है.. कि उड़ जाऊं...
कभी लगता है कि ओझल
तुम्हारी नजरों से मैं...हो जाऊं....
सारे नाते भुला बैठी
तुम संग जुड़ा जब से रिश्ता....
खो दिए जीवन के अनमोल पल कितने ही
जब से तुम बने मेरे जीवन का हिस्सा...🌹🌿
या तो तुम मुझे समझ नहीं पाते या.... ?
मैं तुम्हें समझा नहीं पाती......?
मगर ये सच है कि तुम्हारी इन हरकतों से
मैं तुम्हें जरा भी नहीं चाहती.....
काश ! मुझे परखने की बजाय..
तुम मेरा होने की कोशिश करते.....
भुला के शक और संशय के बीज
मुझे अपना बनाने की चाहत रखते ....🌹🌿
चलो कोई बात नहीं अब और क्या
शिकायत खुद से या तुमसे करूं .........
ये समाज के बनाए नियम हैं......या किस्मत..?
ताउम्र .....ना चाहते हुए भी मैं सहूं.....
पिंजरे में कैद ये छटपटाहट मेरी
काश ! नजरों में तेरी आ जाए कभी....🌹🌿
🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹
जब हम उदास होते हैं तो संगीत बहुत साथ देता है 😊क्या आपके साथ भी ऐसा होता है ?
मेरा पसंदीदा गाना 🌷🌷अजीब दास्तां है कहां शुरू कहां खत्म ..........🌹🌿
© स्वस्तिका