इन जंजीरों को तोड़कर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
आगे बढ रहे है कदम..
अब तो आगे चलना है
पिछे मुडके ना देखना है
आये चाहे मुश्कीले कितनी
मंजिल को अब पाना है..
तुम कोशीश करते रहना
कभी ना हार मानना
लाख गिराये लोग तुमको
तुम उठकर चलते रहना..
तु अपना सफर पुरा कर
तकदिर को साथ लेकर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर..
© ram gagare