अधूरी तेरी बेवफ़ाई को
#parasd
मैं तेरी रातों के मंज़र में कोई याद भर दूं क्या
मैं तेरे तकिए में रखे ख़्वाब को, अश्क़ कर दूं क्या।
तूने छोड़ा था मुझे गैर बनाकर, क्या मैं बन जाऊं
तेरा किसी और के होने से पहले, बगावत, कर दूं क्या।
तू किसी और कि बाहों में, जो दुनिया सज़ा रही
जो दुनिया छोड़ी तूने उसे मैं , हमदर्द कर दूं क्या।
निभाया न गया तुझसे, जो किये थे तूने वादे
मैं मोहब्बत की हर रश्म को, कोरे नज़्म कर दूं क्या।
क्या मैं भुलाकर हर बात, मुलाक़ात, जी लूं अधूरा
या अधूरी तेरी बेवफ़ाई को, मुक़्क़म्मल कर दूं क्या।
© paras
मैं तेरी रातों के मंज़र में कोई याद भर दूं क्या
मैं तेरे तकिए में रखे ख़्वाब को, अश्क़ कर दूं क्या।
तूने छोड़ा था मुझे गैर बनाकर, क्या मैं बन जाऊं
तेरा किसी और के होने से पहले, बगावत, कर दूं क्या।
तू किसी और कि बाहों में, जो दुनिया सज़ा रही
जो दुनिया छोड़ी तूने उसे मैं , हमदर्द कर दूं क्या।
निभाया न गया तुझसे, जो किये थे तूने वादे
मैं मोहब्बत की हर रश्म को, कोरे नज़्म कर दूं क्या।
क्या मैं भुलाकर हर बात, मुलाक़ात, जी लूं अधूरा
या अधूरी तेरी बेवफ़ाई को, मुक़्क़म्मल कर दूं क्या।
© paras