बोझ़
ओझ़ल ओझ़ल सी आँख़े
धुंधला, धुंधला सा आसमाँ
सामने खड़ा प्यारा प्यारा
थ़ा एक बच़्चा सेह़मा सा ।
पीठ पें थ़ा बोझ़ सम्हाले
माता पिता और गुरुजनोंका
उम्र कच्ची, पक्के इरादें
बुलंद थे हौसलें उसके ।
झ़ुके कमरपर बोझ़ लिए
ज़ी रहा थ़ा, रोज़ एक मौत
बोझ़ कभी उतरा ही नहीं
उठ़ाता रहा, माँ-बाप के साथ
बिबी बच्चों...
धुंधला, धुंधला सा आसमाँ
सामने खड़ा प्यारा प्यारा
थ़ा एक बच़्चा सेह़मा सा ।
पीठ पें थ़ा बोझ़ सम्हाले
माता पिता और गुरुजनोंका
उम्र कच्ची, पक्के इरादें
बुलंद थे हौसलें उसके ।
झ़ुके कमरपर बोझ़ लिए
ज़ी रहा थ़ा, रोज़ एक मौत
बोझ़ कभी उतरा ही नहीं
उठ़ाता रहा, माँ-बाप के साथ
बिबी बच्चों...