#महक#
#महक#
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कहने को तो शब्द हुं
समझो तो एहसास ।
कहने को तो दिखती नहीं हुं
मेहसूस हो जाऊं करके आंखे बंध।
कहने को तो अपंग हुं
जिसके संग हूं, खींच लु उसे अपनी ओर।
कहने को जुबान से गुंगी हुं
इशारों में खोल दूं मन के भेद।
कहने को बेरंग सी हुं
रंग दूं खुद...
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कहने को तो शब्द हुं
समझो तो एहसास ।
कहने को तो दिखती नहीं हुं
मेहसूस हो जाऊं करके आंखे बंध।
कहने को तो अपंग हुं
जिसके संग हूं, खींच लु उसे अपनी ओर।
कहने को जुबान से गुंगी हुं
इशारों में खोल दूं मन के भेद।
कहने को बेरंग सी हुं
रंग दूं खुद...