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मैंने सिख लिया है.....
मैंने सिख लिया है,,
हर परिस्थिति में विश्वास रखना,
हर चीज का एहसास करना,
बस ये भूल गयीं हूं कि मैं कौन हूं,
लेकिन,
मैंने सब सिख लिया है...
कौन अपना कौन पराया सब
देख लिया है,
हर परिस्थिति में खुद को ढालना सिख लिया है,
बस ये नहीं पता कि कहां जानां है,
मैंने सब सिख लिया....
अब तो दुखी रहना सिख लिया
और झूठी हंसी दिखाना भी जान लिया,
बस सच्ची मुस्कान भूल गयें,
जिंदगी हर पल बस एक जैसी लगती है,
लेकिन मैंने सब सिख लिया....
अब कोई दिल भी दुखा दे तो
बुरा नहीं लगता,
क्योंकि अब उसकी आदतें ही पड़ गयीं है,
और जो अपने है वो भी हमें भूल गयें,
हम अब अकेले ही राहों में खड़े रह गयें,
मैनें अकेले रहना सिख लिया,
फिर भी मैं अकेली नहीं,
क्योंकि मैंने खुद को देख लिया,
मैंने सब सिख लिया.....
अब तो किसी पे गुस्सा भी नहीं करतें हम,
क्योंकि जिंदगी में बहुत हैं ग़म,
मैंने रहना सिख लिया,
बस अब कुछ बोलना ही भूल गयें,
मैंने सब सिख लिया....
अब तो कोई भरोसा करना नहीं चाहता,
इस पर ही मेरा भरोसा रह गया,
क्योंकि मैंने अकेलेपन को ही दोस्त बना लिया,
मैंने सब सिख लिया....
झूठ बोलना तो आदत नहीं थी,
बस वो भी बोलना सिख गयें,
क्योंकि सच बोल नहीं सकतें,
अब तो अंधेरे से भी डर नहीं लगता,
क्योंकि अंधेरा,अंधेरा ही होता,
ज़माने के लोगों जैसा झूठा नहीं होता,
मैंने सब सिख लिया है......
written by VANSHIKA CHAUBEY
#writcopoemchallegene
हर परिस्थिति में विश्वास रखना,
हर चीज का एहसास करना,
बस ये भूल गयीं हूं कि मैं कौन हूं,
लेकिन,
मैंने सब सिख लिया है...
कौन अपना कौन पराया सब
देख लिया है,
हर परिस्थिति में खुद को ढालना सिख लिया है,
बस ये नहीं पता कि कहां जानां है,
मैंने सब सिख लिया....
अब तो दुखी रहना सिख लिया
और झूठी हंसी दिखाना भी जान लिया,
बस सच्ची मुस्कान भूल गयें,
जिंदगी हर पल बस एक जैसी लगती है,
लेकिन मैंने सब सिख लिया....
अब कोई दिल भी दुखा दे तो
बुरा नहीं लगता,
क्योंकि अब उसकी आदतें ही पड़ गयीं है,
और जो अपने है वो भी हमें भूल गयें,
हम अब अकेले ही राहों में खड़े रह गयें,
मैनें अकेले रहना सिख लिया,
फिर भी मैं अकेली नहीं,
क्योंकि मैंने खुद को देख लिया,
मैंने सब सिख लिया.....
अब तो किसी पे गुस्सा भी नहीं करतें हम,
क्योंकि जिंदगी में बहुत हैं ग़म,
मैंने रहना सिख लिया,
बस अब कुछ बोलना ही भूल गयें,
मैंने सब सिख लिया....
अब तो कोई भरोसा करना नहीं चाहता,
इस पर ही मेरा भरोसा रह गया,
क्योंकि मैंने अकेलेपन को ही दोस्त बना लिया,
मैंने सब सिख लिया....
झूठ बोलना तो आदत नहीं थी,
बस वो भी बोलना सिख गयें,
क्योंकि सच बोल नहीं सकतें,
अब तो अंधेरे से भी डर नहीं लगता,
क्योंकि अंधेरा,अंधेरा ही होता,
ज़माने के लोगों जैसा झूठा नहीं होता,
मैंने सब सिख लिया है......
written by VANSHIKA CHAUBEY
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