तू मेरी छाँव
धुंध जो बन बैठूं मैं दिन की,
स्याह बादल तुम बन जाना,
लिपट कर रो लूं तुझ में ही कहीं,
ऐसी अनवरत बरसात बन जाना..
जिस्म में रूह की भूख बन जाना,
प्यासे इस दिल की...
स्याह बादल तुम बन जाना,
लिपट कर रो लूं तुझ में ही कहीं,
ऐसी अनवरत बरसात बन जाना..
जिस्म में रूह की भूख बन जाना,
प्यासे इस दिल की...