...

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बेज़ुबान माँ
बेज़ुबान माँ

क्या गलती थी मेरी की जो
मैंने तुम पर विश्वास किया
क्यों मेरे बच्चे को तुमने
इस दुनिया में आने ना दिया
क्या बिगाड़ा किसी का हमने
जो ऐसा सुलूक हमसे है किया
बस खाना ही तो मांगा था
उसके बदले ज़हर दिया
इंसानियत मर गई तुम्हारी
जो तुमने ऐसा पाप किया
वैसे पूजते हो भगवान रूप में
अच्छा पूजने का सिला है दिया
ना मांगती तुमसे कुछ मैं
अगर जंगल को होता रहने दिया
जब मन करा पुचकार लिया
जब मन करा धुत कार दिया
जब चाहा गले लगा लिया
जब चाहा हमें मार दिया
बेज़ुबान है ये हमारा है अभिशाप
ज़ुल्म सहना ही है हमारा संताप
व्यथा में भी मैंने किसी
को कोई कष्ट ना दिया
चुपचाप नदी में जाकर
प्राणों को बस त्याग दिया
ना आना चाहूँ फिर इस दुनिया में
जहाँ इंसान ने इंसानियत को शर्मसार किया। 💔

@दीप्तिSood24