...

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वक्त और हालात की दुनिया
कि क्यों मेरा हाथ पकड़ने से हर कोई डरता है..
बाप छोड़ जाता है और माँ को साथ चलने में डर लगता है जिंदगी का कोई क्यों मोल नहीं है हंसती हो तो आंखों में आंसू आते हैं...
क्या मैंने अपने दिल में कोई राज़ दबा रखा है
क्या करूं मुझे किसी पर यकीन ही नहीं है और यकीन करूं तो करूं किस पर मेरे अपनों ने ही मुझे धोखा दिया है...
अपनी गलतियों को मैं छुपाने लगी हूं..
डरती हूं मैं हर किसी से मगर इन बातों को मैं छुपाने लगी हो मेरे दिल के जो हालात है वह किसी को बताऊं किसी को कहने में घबराने लगी हूं


खुशी तो मेरी जिंदगी में सिर्फ कुछ पल की मेहमान है दुखों का पहाड़ मेरे साथ साथ चलना है इस जिंदगी से शिकवा करूं तो करूं कहते अपनी जिंदगी को अपनी किस्मत मान बैठी हूं मौत मांगती हूं तब भी नहीं आती शायद उस खुदा ने मेरी जिंदगी में कुछ और ही लिखा हुआ है अब हंस-हंसकर दिखाती हूं सबको मगर अंदर ही अंदर रोती रहती हो...


आंखों में समंदर भर लिया है मैंने..
और दिन पर दिन में इस समंदर में डूबने लगी हूं किसी सुनाओ मैं अपने दिल का हाल मैं अपने दिल को ही भूलने लगी हूं शायद किस्मत में मेरी यही लिखा था मैंने जिसे चाहा उसने मुझे नहीं चाहता सब मेरे दिल से खेल कर चले जाते हैं


क्यों मैं इतनी पागल हूं जो सबको खेलने देती हूं
अब दिल और दिमाग किसी के काबू में ही नहीं रहा जब भी मैं इंसानों की तरफ देखती हूं तो यही सोचती हूं खुदा तूने मुझे जिंदगी में किस लिए बनाया है मैं यह बात अब समझ चुकी हूं मैं इस दुनिया देनदारी कि नहीं हूं मुझे अपने सपने पूरे करने की कोई चाहत ही नहीं रही जब जब मैं आंखों से बहाती हूं आशिक दिल में एक सकून सा जाता है