एक उम्र दौर
// #दौरे_उम्र //
मैं एक उम्र के अलग - अलग दौर का पड़ाव,
अस्तित्व से अंकुरण पर पहन चला खडाव;
कोमल पुष्प पात हरा- भरा नौनिहाल दिया,
बचपन के नव - अंकुरित बेबाक पल जिया।
बेफिक्र जवानी का नित पुलकित पुष्प नया,
दुनिया में काहे कि शर्म और काहे कि हया;
बिल्लियों उछलता आसमान को छूता गया,
किसे थी फ़िक्र क्या पाया और क्या खोया।
जब चढ़ने लगी जवनी बदलने लगी कहानी,
अंजान सा साया दिल से करने लगा...
मैं एक उम्र के अलग - अलग दौर का पड़ाव,
अस्तित्व से अंकुरण पर पहन चला खडाव;
कोमल पुष्प पात हरा- भरा नौनिहाल दिया,
बचपन के नव - अंकुरित बेबाक पल जिया।
बेफिक्र जवानी का नित पुलकित पुष्प नया,
दुनिया में काहे कि शर्म और काहे कि हया;
बिल्लियों उछलता आसमान को छूता गया,
किसे थी फ़िक्र क्या पाया और क्या खोया।
जब चढ़ने लगी जवनी बदलने लगी कहानी,
अंजान सा साया दिल से करने लगा...