इंसान
ढूंढ रहा तू पत्थर में भगवान कहां
खुद को साबित करना है आसान कहां
सब कुछ पीछे छूट रहा इंसा टूटा
ठहर गया है जाने ये नादान कहां
बचपन खोया और जवानी रोती है
होठों पर निश्चल सी है...
खुद को साबित करना है आसान कहां
सब कुछ पीछे छूट रहा इंसा टूटा
ठहर गया है जाने ये नादान कहां
बचपन खोया और जवानी रोती है
होठों पर निश्चल सी है...