शर्मनाक
क्यों लाज न आयी बुरा काम करते करते
कातर दृष्टि से देखती रही सब सहते सहते
क्या तेरी रूह एक बार भी न काँपी थी
उस कोमल काया पर प्रहार करते करते
दुनिया का इलाज जाग-जाग कर करती थी
आराम भी सज़ा बन गया काम करते करते
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कातर दृष्टि से देखती रही सब सहते सहते
क्या तेरी रूह एक बार भी न काँपी थी
उस कोमल काया पर प्रहार करते करते
दुनिया का इलाज जाग-जाग कर करती थी
आराम भी सज़ा बन गया काम करते करते
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