...

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अनकहे जज़्बात
दबी हुई है बहुत सारी बातें मन मे
दबी हुई है बहुत सारी हसरतें मन मे
अनकहा प्यार
अनकहा गुस्सा
अनकही ख़्वाहिशें
अनकही तकलीफे
सब के साथ जीने को मजबूर हैं हम
पर कहने की हिम्मत ना जुटा पा रहे हम
और कहे भी तो किससे
कोई हमारी बातों को सुनने वाला भी तो नही है
इस भागमभाग की जिंदगी तो ठहर गयी पर
हमलोग ना ठहर सके ।
अब भी भाग रहे ,
लोगो की खुशामत करने
अपनो को छोड़ , अनजान से बातें करने
ओर बस भागते ही जा रहे

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