...

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सफर में तू साथ हो....
सफर लंबा था
तू संग नहीं थी
कमी तेरी खल रही थी
या यूं कहुँ...
तेरी ना मौजूदगी
दिल को मेरे चुभ रही थी,
बगल की सीट पर
आँखें मेरी
तुझे ढूँढ रही थी
मेरे ख्यालों में बस तू ही
घूम रही थी
या यूं कहुँ...
तू ना होकर भी
दिल में मेरे बसी थी,
संतोष कर लेती मैं
अगर ये जुदाई बस
कुछ...