मुझे वापस से बुलाने के लिए....!!
सूखे पत्तों सा भिखरा पड़ा था में,
जिसने भी समेटा तो सिर्फ जलाने के लिए॥
में छोड़ कर आया था शहर उसका,
उसे भुलाने के खातिर,
शाम आते–आते उसकी याद भी आ गयी,
मुझे ...
जिसने भी समेटा तो सिर्फ जलाने के लिए॥
में छोड़ कर आया था शहर उसका,
उसे भुलाने के खातिर,
शाम आते–आते उसकी याद भी आ गयी,
मुझे ...