...

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मैं वो कविता बनूंगी
तुम्हारे जागे एहसासों में
ख्वाब बनूंगी
जागती आँखो का
सितारा बनूंगी
मेरे पास होने का
तुम्हें एहसास होगा
और तन्हाई में
सुकून बनूंगी
दिल में तुम्हारे
ऐसे उतरुंगी
के मंज़िल हो न हो
तुम्हें हसकर हर राह में
जीना सिखा जाऊंगी
जान कहकर भी शायद
तुम मुझे जान न बना पाओ
पर जिस लम्हें
मुझे याद करो
उस लम्हें बस
जी भरके जी जाओ
एक खूबसूरत सा
किस्सा बनूंगी
जो कभी दफन होगी नहीं
एक ऐसी तुम्हारे हाथों लिखी
आज़ाद सी कविता बनूंगी।।


© KALAMKIDIWANI