...

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भोर गीत
भोर हुई सूरज जागा
अंधियारा भी दूर भागा
तारों ने है लपेटी चटाई
सूरज ने भी ली अंगड़ाई

दूर हुई स्याही आकाश की
बिखरी किरणों की लाली
पंख हैं बिखराए मोर ने
चिड़ियों ने भी सरगम गाई

चारों ओर छाई हरियाली
मुर्गे ने भी बाग लगाई
उठ जाओ सोकर तुम भी
छोड़ के आलस की दुलाई

खोल तू आंखो की डिबिया
गुम हो जाए ये सारे निंदिया
छोड़ कर सारे मीठे सपने
काम को तू भी चल दे अपने