...

17 views

ठिकाना
वक़्त कितनी तेजी से
आगे निकल गया
तूम को अलग हुए
एक अरसा हो गया
तूम खूश हो
बस ये सोच कर मै भी खूश हूँ
मेरा आशीयाना तो
कब का जल कर खाख हो गया
किस से करूँ शिकवा
किस से मांगू हक मेरा
एक तू ही था मेरा अपना
मगर, तू ही बेवफा हो गया
आँखों के पानी में
ख्वाब की कश्तीयाँ
बहूत उतारी थी साथ तुम्हारे
क्या जाने , क्यों बीच भंवर में
माझी साथ छोड़ गया
हवाओं के रूख के साथ
चलते है अब कदम भी
रास्ते ही रास्ते हैं हर तरफ
मुझ से मेरा हर ठिकाना ही खो गया ।

sangeeta
24/1/2021