Manzil
मंजिल कुछ करना है तो डटकर चल , थोड़ा दुनिया से हटकर चल । बिना काम के मुकाम कैसा? बिना मेहनत के दाम कैसा? जब तक ना हासिल हो मंजिल, तो राह में आराम कैसा? मन में ना कोई बहाना रख। लक्ष्य सामने है बस उसी पे अपना निशाना रख। सोच साकार कर अपने सपनों को। अपने कर्मो से प्यार कर, मिलेगा एक दिन मेहनत का फल। किसी ओर का न इंतजार कर, जो चले थे अकेले उनके पीछे आज मेले है। जो करते रहे इंतजार उनकी ज़िन्दगी में आज भी झमेले है। मत डर अपनी कामयाबी को पाने से, बस होंसला रख और अपनी मेहनत पर विश्वास रख। ऊपर वाले पर रख आस्था, तभी मिलेगा मंजिल का रास्ता। डॉ.श्वेता सिंह