...

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जुदाई
तो क्या हुआ... गर मोहब्बत में
हम दोनो की जुदाई लिखी है।

तो क्या हुआ... जो दीदार तेरा
सिर्फ़ मेरे यादों में ही मिली है।

तो क्या हुआ... जो ये दिल सिर्फ़
विरह की ज़ख्मों से भरी है।

तो क्या हुआ... जब इश्क़ के बाग
की हर फूल मुरझा गई है।

तो क्या हुआ... जो ख़्वाबों के आसमा
में काली बादल घिरी है।

मौत के बाद उस फ़लक में मिलने
की, इस रूह को एक उम्मीद की रोशनी तो मिली हैं।
©हेमा