प्रेम की परिभाषा पंडिताइन जी ने सिखाई
हाँ ये सच हैं
हमने प्रेम करना
अपनी पंडिताइन जी
से सीखा हैं ❣️
दिलबर से
एकनिष्ठ रहकर अपने
कर्तव्यों पे चलकर
प्रेम किया जा सकता हैं ❣️
जिम्मेदारियो की
बखूबी निभाकर कैसे
प्रेम किया जा सकता हैं ❣️
उनसे बिन बताए
बिन जताए भी
कैसे प्रेम करते हैं ❣️
होठों को दबाकर
आँखो से बोलकर भी
कैसे प्रेम किया जा सकता हैं ❣️
सबकी नजरों से ओझल
एक दूजे से दूर रहकर
हर क्षण दिलबर में खोकर
कैसे प्रेम किया जा सकता हैं ❣️
हाँ ये सच हैं
हमने प्रेम करना
अपनी पंडिताइन जी
से सीखा हैं ❣️
अबसे अनमोल सिखों में से एक
सर्वस्व पंडिताइन जी को समर्पित 😘
© उन्मुक्क्त अनूप
हमने प्रेम करना
अपनी पंडिताइन जी
से सीखा हैं ❣️
दिलबर से
एकनिष्ठ रहकर अपने
कर्तव्यों पे चलकर
प्रेम किया जा सकता हैं ❣️
जिम्मेदारियो की
बखूबी निभाकर कैसे
प्रेम किया जा सकता हैं ❣️
उनसे बिन बताए
बिन जताए भी
कैसे प्रेम करते हैं ❣️
होठों को दबाकर
आँखो से बोलकर भी
कैसे प्रेम किया जा सकता हैं ❣️
सबकी नजरों से ओझल
एक दूजे से दूर रहकर
हर क्षण दिलबर में खोकर
कैसे प्रेम किया जा सकता हैं ❣️
हाँ ये सच हैं
हमने प्रेम करना
अपनी पंडिताइन जी
से सीखा हैं ❣️
अबसे अनमोल सिखों में से एक
सर्वस्व पंडिताइन जी को समर्पित 😘
© उन्मुक्क्त अनूप