...

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लक्ष्य
जीवन का हर एक क्षण,
प्रतिद्वंदी जिसमें जीवन रण।
कर दे विशुद्ध हर सपने को,
जो ठान लिया पाने का प्रण।।१।।

फिर धरती क्या?और अम्बर क्या?
अंतरिक्ष पार कर जाना है।
भर के ख़ुद में हुँकार प्रबल,
लक्ष्य ही आहार बनाना है।।२।।

उठा लिया जो तिनका हाथों में,
बन जायेगा वो ही...