...

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बरसाती रात
बरसाती रात की चित्कार को समझो ,
बारिश की हर बूंद की आवाज को समझो,


लम्बी सड़को की तन्हाई को समझो,
पत्तों मैं बैठी हर शबनम को समझो ,


कागज में छुपे हुई कुछ अहसास को समझो
भीड़ से दूर जरा अल्फाजों को समझो,


खुले आसमान में बहती हुई ठंडी फिजाओ को समझो,
चलती फिजाओ के अकेलेपन का फरमान तुम समझो,


तुम, समझो जरा ,
अंधेरी रात के बाद आने वाले सुनहरे किरणों को ।