कुछ मैं कुछ हम
वो जो गुलाब सी कोमल लगती है
क्या कोई जरूरी है की सबको फबती है
इस इतर की खुशबू मुझ तक आ रही
क्या जरूरी है के सबसे आ रही
मैं ढूंढता हूं खुद सा शख्स सबमें
कैसी खुदगर्जी मुझ पर छा रही
जो खुद सा रंग लूं मैं सबको
ये कैसा रंग मैं रंग दूं सबको
विविधता की इस श्रृष्टि में
महत्व दूं मैं सब रंग को
© टूटा हुआ ख़्वाब
क्या कोई जरूरी है की सबको फबती है
इस इतर की खुशबू मुझ तक आ रही
क्या जरूरी है के सबसे आ रही
मैं ढूंढता हूं खुद सा शख्स सबमें
कैसी खुदगर्जी मुझ पर छा रही
जो खुद सा रंग लूं मैं सबको
ये कैसा रंग मैं रंग दूं सबको
विविधता की इस श्रृष्टि में
महत्व दूं मैं सब रंग को
© टूटा हुआ ख़्वाब