...

15 views

"दीप" तू अंधेरे में है !!
कहां उलझा उल्फत के घेरे में है
वो परिंदा तो अपने डेरे में है
कमी उसमे नही कमी तेरे में है
"दीप" तू अंधेरे में है

ना मिली मंजिल मुसाफिर , मुसाफिर रहा
तू उसके लिए बस फाफिर रहा
ये कैसी मजबूरी के पहरे में है
कमी उसमे नही , कमी तेरे में है
" दीप " तू अंधेरे में है

कमाल की बात है , कमाल करता है
वो मुझसे सीखा है , मुझसे सवाल करता है
मैं रात काली वो उजले सवेरे में हैं
कमी उसमे नही , कमी तेरे में है
" दीप " तू अंधेरे है

रूह राख बनी , जिस्म काला हुआ
मेरी ख्वाहिशे जली तो उजाला हुआ
तू तो आफत के रैन बसेरे में है
कमी उसमे नही , कमी तेरे में है
" दीप " तू अंधेरे है

© शायर मिजाज