"दीप" तू अंधेरे में है !!
कहां उलझा उल्फत के घेरे में है
वो परिंदा तो अपने डेरे में है
कमी उसमे नही कमी तेरे में है
"दीप" तू अंधेरे में है
ना मिली मंजिल मुसाफिर , मुसाफिर रहा
तू उसके लिए बस फाफिर रहा
ये कैसी मजबूरी के पहरे में है
कमी उसमे नही , कमी...
वो परिंदा तो अपने डेरे में है
कमी उसमे नही कमी तेरे में है
"दीप" तू अंधेरे में है
ना मिली मंजिल मुसाफिर , मुसाफिर रहा
तू उसके लिए बस फाफिर रहा
ये कैसी मजबूरी के पहरे में है
कमी उसमे नही , कमी...