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तैयार हो जाओ
खुदगर्ज़ी दुनिया में ख़ुदा हो जाओ
अपने पैरों पर खड़ा हो जाओ
कौन पिलाये शजर को इतना पानी
अपने हुनर से बड़ा हो जाओ
फूलों से चुरा कर ले गई मधुमक्खियां
उस शहद की तरह सुधा हो जाओ
रात कई बीते वीरानी समंदर में
लहरों की खामोशी से ख़फ़ा हो जाओ
वफ़ादारी भी यहां बेवफ़ाई कर जाती है
ऐसी दुनिया से जुदा हो जाओ
© prashanth K
अपने पैरों पर खड़ा हो जाओ
कौन पिलाये शजर को इतना पानी
अपने हुनर से बड़ा हो जाओ
फूलों से चुरा कर ले गई मधुमक्खियां
उस शहद की तरह सुधा हो जाओ
रात कई बीते वीरानी समंदर में
लहरों की खामोशी से ख़फ़ा हो जाओ
वफ़ादारी भी यहां बेवफ़ाई कर जाती है
ऐसी दुनिया से जुदा हो जाओ
© prashanth K
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