...

8 views

पलटू जिन्दगी और ज़िद्द
असर है तेरा या झुकाव है मेरा,
खोने लगा हूॅं।
ऐ सरकारी नौकरी जल्दी मिल जा,
तानों से रोने लगा हूॅं।
बेबस सा हूॅं, लाचार हूॅं अब तो अपनों
से ही दूर होने लगा हूॅं।
ऐ जिन्दगी अब तो पलट, तेरा बिना
तन्हा होने लगा हूॅं; बात दूर तक गई है इसलिए सांसों को भी पिरोने
लगा हूॅं।
संभल जा अब तो जरा क्योंकि तुझसे नाराज़ भी तो होने लगा हूॅं।।
© चक्षु बाबा🥇