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मां तूने अच्छा किया
मां तूने अच्छा किया

जाने तूने मेरे कितने जन्मों का कर्ज़ उतार दिया ! माँ तूने अच्छा किया, मुझे कोख में ही मार दिया !

क्या करती वैसे भी आकर इस निर्लज्ज सँसार में ! जहाँ पर मेरी इज़्ज़त लुटती सरेआम बाज़ार में ! मार के मुझको कहते वो के मैं ही ज़िम्मेवार हूँ ! कोई पहनावे में कमी ढूँढ़ता, कोई मेरे व्यवहार में !

क्या बीतती तुम पर जब तुम हाल ये मेरा देखती ! क्यों पैदा होते ही मर न गयी मैं, तुम शायद ये सोचती ! क्या बाबा ये सब सह पाते, वो तो जीते-जी मर जाते ! अपने मन का दुःख वो शायद किसी से भी न कह पाते ! वो मेरा सोग मनाते, तुमने ये बोझ उन्हें उठाने न दिया ! तुमने मुझपे एहसान किया जो दुनिया में आने न दिया !!

पहले मैं तुमसे गुस्सा थी के तूने न माँ का प्यार दिया ! अब मैं जा कर समझी के तूने कैसा ये उपहार दिया ! तू समझ गयी मैं नही सुरक्षित हैवानो की बस्ती में ! माँ तूने अच्छा किया, मुझे कोख में ही मार दिया ! माँ तूने अच्छा किया, मुझे कोख में ही मार दिया
© रश्मि+++