और हम बड़े हो गए
कागज की कस्ती पे सवार थे हम,
जब तूफान आया और
पानी के कुछ छींटे कागज पे पड़े,
धीरे_धीरे वो डूब गया,
साथ में कई सपने,
कई ख्वाहिशें भी डूब गए
और इस तरह हम थोड़े बड़े हो गए,
वो एहसास जिनका पता न था
वक्त ने...
जब तूफान आया और
पानी के कुछ छींटे कागज पे पड़े,
धीरे_धीरे वो डूब गया,
साथ में कई सपने,
कई ख्वाहिशें भी डूब गए
और इस तरह हम थोड़े बड़े हो गए,
वो एहसास जिनका पता न था
वक्त ने...