मैं
आलसी हूं तो रहने दो,
सहता हूं तो सहने दो,
क्या वो बुरा कहा मुझे?
जो कहता है कहने दो।
स्वेत नदी सा बहने दो,
हिमालय सा ढहने दो,
मेरे हिस्से रिश्ते दे दो,
उसके हिस्से गहने दो।
पूरी हो गई सारी इच्छा?
या अभी कुछ बाकी है?
यह ही तो है जिंदगी मेरी,
जिसे समझा राखी है।
मुझे ना कोई उपकार चाहिए,
ना मुझे तेरा कोई हार चाहिए,
व्यवसाय नहीं बनाना रिश्ते,
मुझे टूट कर ही प्यार चाहिए।
मज़ाक लगी ना मेरी बातें?
तो फिर अठखेलियाँ करो,
भौतिक में तुम आज जियो,
ईश्वर कहे खाली हाथ मरो।
तो किस बात की बात है?
मुर्दा भी आभूषणों–साथ है,
रोने को कोई है ही नहीं,
प्यार के नाम खाली हाथ है।
अरे! ये भी कोई बात है?
सिद्धार्थ_चतुर्वेदी
© profoundwriters
सहता हूं तो सहने दो,
क्या वो बुरा कहा मुझे?
जो कहता है कहने दो।
स्वेत नदी सा बहने दो,
हिमालय सा ढहने दो,
मेरे हिस्से रिश्ते दे दो,
उसके हिस्से गहने दो।
पूरी हो गई सारी इच्छा?
या अभी कुछ बाकी है?
यह ही तो है जिंदगी मेरी,
जिसे समझा राखी है।
मुझे ना कोई उपकार चाहिए,
ना मुझे तेरा कोई हार चाहिए,
व्यवसाय नहीं बनाना रिश्ते,
मुझे टूट कर ही प्यार चाहिए।
मज़ाक लगी ना मेरी बातें?
तो फिर अठखेलियाँ करो,
भौतिक में तुम आज जियो,
ईश्वर कहे खाली हाथ मरो।
तो किस बात की बात है?
मुर्दा भी आभूषणों–साथ है,
रोने को कोई है ही नहीं,
प्यार के नाम खाली हाथ है।
अरे! ये भी कोई बात है?
सिद्धार्थ_चतुर्वेदी
© profoundwriters