फ़ासला बढ़ता गया.....
उस धागे की तरह रिश्ता भी उलझता गया...
और समय बितता गया
आज नहीं कल बात करूँगी
हर बार मैं ही क्यों शुरुआत करूँगी
मेंरी हर गलती उन्हें...
और समय बितता गया
आज नहीं कल बात करूँगी
हर बार मैं ही क्यों शुरुआत करूँगी
मेंरी हर गलती उन्हें...