...

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ये रात भी बड़ी जालिम है
के जिन यादों को दफना चुके हैं हम उन्हें वो हरा कर जाती है,
दिल के कोने मे छिपे उस राज़ को वो बार-बार गेहरा कर जाती है |

अंधेरे का चादर ओढ़ जब साम उन यादों की यादें मिटतीं है,
खुद से खफा हुए उस दिल को नजाने क्यों ये बार-बार खरोचती जाती हैं |

गेहराई मे छिपे राज़...