...

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कुछ सवाल...!!
कि,
शक्श कौन शामिल होगा
मेरे मुश्किल सफ़र में,

कि,
जो सोच के जीता हूँ
क्या वही मिलेगा मुकद्दर में?

कि,
जाना पड़ेगा वहाँ तक भी
जहाँ नहीं जाना चाहता कोई
इस दहर में,

क्या वहाँ तक तुम चल सकोगी
इस सफर में?

ये सिंदूर ये शाम , वो हथेली मेरा नाम

ये सफर ये सिफ़र , पहले लड़ाई फिर फ़िकर

मेरा नशा मेरा होश, तेरी घूँघट मेरे मदहोश

कुछ सवाल एक जवाब, मेरी यादों का किताब

वो चूड़ी वो साड़ी
कभी दीवार पर टँगा इंतेज़ार में घड़ी

क्या सब कुछ संभाल सकोगी
अपने दिल के शहर में..!!

कि शक्श कौन शामिल होगा
मेरे मुश्किल सफ़र में

जाना पड़ेगा वहाँ तक भी
जहाँ नहीं जाना चाहता कोई दहर में.!!

: सुधीर “अल्फाज़”