हिन्दी के विस्तृत रंग
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'अ' से अक्षर अक्षय रहता सदा अनंंत ब्रह्मांड में विचरता,
'आ' से आगमन आदिशक्ति का शव को भी शिव कर देता,
'इ' है इड़ा पिंगला नाड़ी राष्ट्र की नस नस में दौड़ रही,
ईश्वर का सदा स्मरण कराती 'ई' है एक विदुषी नारी,
'उ' यद्यपि दिखता लघु अवश्य है किन्तु छिपाये है गुरु-तत्व,
'ऊ' के चिंतन...
'अ' से अक्षर अक्षय रहता सदा अनंंत ब्रह्मांड में विचरता,
'आ' से आगमन आदिशक्ति का शव को भी शिव कर देता,
'इ' है इड़ा पिंगला नाड़ी राष्ट्र की नस नस में दौड़ रही,
ईश्वर का सदा स्मरण कराती 'ई' है एक विदुषी नारी,
'उ' यद्यपि दिखता लघु अवश्य है किन्तु छिपाये है गुरु-तत्व,
'ऊ' के चिंतन...