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भास्कर का विचार,मंदिर बने गजानन महाराज का विशाल
पहुंचे श्री समर्थ बालापुर दासनवमी के अवसर पर।
दास नवमी पूर्ण होने पर देवयोग घटित हुआ भास्कर पर।
काट लिया पागल कुत्ते ने,रोग बढ़ा भास्कर पर।
सारे लौकिक उपाय किये असफल सारे उपचार।
जब सबने कहा जाओ जल्दी बुला लाओ डॉक्टर
भास्कर बोले मेरा डॉक्टर बैठा है आसन पर।
वो जैसा कहे वही करो,हठी न बनो उपचार पर।
कहा महाराज ने बाला भाऊ से सारा वृत्तांत सुनकर।
ऋण,शत्रुता,बैर,को चुकाना पड़ता है धरती पर।
उद्दण्ड गाय को शांत कराकर खूब दूध पीयें भास्कर।
पूर्व जन्म का शत्रु स्वान बदला लिया इस जन्म पर।
पूर्व जन्म के पापों का भोग भुगतना पड़ता अगले जन्म पर।
और जीना चाहते हो क्या तुम्हारी रक्षा करूँ भास्कर।
उधार जीवन ऋण चुकाने पुनर्जन्म होगा पृथ्वी पर।
मैं समय टाल सकता हूँ अपना निर्णय बताओ भास्कर।
माता की तरह आप मेरा हित जानते हो गुरुवर।
आपको जो भाता हो वही करिए ज्ञानसागर।
प्रसन्न हुए गजाजन सुनकर जो निश्चय किया भास्कर।
कुछ ने कहा बचाइए गुरुवर, है परम् भक्त भास्कर।
जन्ममरण यह भ्रांति है आत्मा होती अजर अमर।
प्रारब्ध,संचित,क्रियमाण,कर्म भोगना होता जन्म लेकर।
इस जन्म के कर्म दण्ड भुगतना पड़ता अगला जन्म लेकर।
पूर्वजन्म दण्ड शेष नही है मोक्ष का अधिकारी भास्कर।
कुत्ते से द्ववेश रखा तो होगा पुनर्जन्म निश्चय कर।
मैं इतना करता हूँ कि पागल नही होगा भास्कर।
सुनकर यह कुछ आंनदित हुए कुछ असहमत थे इस पर।
शेगांव आकर,सभी को वृतान्त सुनाया भास्कर अपने स्वर।
भास्कर बोले श्री का ज्ञान है अनमोल धरोहर।
रखे सम्हालकर और भविष्य में ज्ञान का हो प्रचार।
श्री गजानन महाराज का तीर्थ स्मारक बनाने का करें विचार।
मेंरा जीवन है दो माह का,मेरी मनोकामना पर करे विचार।
मंदिर बने विशाल शेगांव में,ऐसा वचन सबसे पाकर।
मैं सुखपूर्वक चला जाऊंगा बैकुंठ यात्रा पर।
सबने मंदिर निर्माण का प्रण लिया गजानन की शपथ लेकर।
मन स्थिर व आनंदित हुआ अपने अंतिम दिनों में भास्कर।
महाराज की कृपा से होए अच्छे कार्य करते श्वांस पर।
संजीव बल्लाल १७/३/२०२४© BALLAL S