...

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मौला
एक सांस तो लेने दे, कितना सताओगे ए मौला.
मिट्टी की चद्दर ओढ़े लेट जाऊंगा
तब तेरे पास ही तो आना है
तब खूब नचाना ए मौला.


आज किसीकी आँखों का तारा हू, किसी केलिए अब्बा
किसी के लिए रोटी किसी के लिए सहारा 
हुन्नर बेचते बेचते थक गया हु,
एक सांस तो लेने दे ए मौला.


तूने बनायीं इस दुनिया मै हस्ते खेलते जीने की सोच रहा था
हसी तो दूर रही, खुद एक खेल बनके रह गया हू
किसीके सपने सँभालते सँभालते थक गया हूँ
एक सांस तो लेने दे ए मौला.


सोचता हु समंदर की लहरों मै समां जाऊ
तेरे पास चला आऊ 
यहाँ एक आसू भी ना होता नसीब
दर्द छुपाते छुपाते थक गया हु
एक सांस तो लेने दे ए मौला


तेरे पास ही तो आना है, तब खूब नचाना ए मौला
कितना सताओगे...
© omkar's