बचपन
काश फिर से बच्चे बन जाते
सब अच्छे से पेश आते
मन के सच्चे बन जाते
थोड़े अकल से कच्चे बन जाते
समाज के तानों से दूर हो जाते
जीवन की मस्ती में चूर हो जाते
खिलौनों की भरी...
सब अच्छे से पेश आते
मन के सच्चे बन जाते
थोड़े अकल से कच्चे बन जाते
समाज के तानों से दूर हो जाते
जीवन की मस्ती में चूर हो जाते
खिलौनों की भरी...