कुम्हार और में ।
सपनों से हार कर
अपना सब कुछ औरों पर वार कर
जब थका हारा पहुंचा में एक नुक्कड़ पर
तब नजर गई कुम्हार पर
बैठा था वो गीली मिट्टी के ढेर में
शायद कुछ ढूंढ रहा था वो अंधेर में
कपड़े थे उसके गंदे से
मैंने पूछा क्या कमा लेते हो धंधे से
वो देखा और मुस्कुराया
बोला आओ बैठो पास
बतलाते है तुम्हें क्या है इसमें खास
उसने बतलाया मटके का इतिहास
समझाया उसने इस कला को
सांझा करा अपनी इस सलहा को
बतलाया उसने
केसा होता है मिट्टी का लिबास
केसे होती है मटके की उत्पत्ति
चलो बतलाते है तुम्हें भी क्या है...
अपना सब कुछ औरों पर वार कर
जब थका हारा पहुंचा में एक नुक्कड़ पर
तब नजर गई कुम्हार पर
बैठा था वो गीली मिट्टी के ढेर में
शायद कुछ ढूंढ रहा था वो अंधेर में
कपड़े थे उसके गंदे से
मैंने पूछा क्या कमा लेते हो धंधे से
वो देखा और मुस्कुराया
बोला आओ बैठो पास
बतलाते है तुम्हें क्या है इसमें खास
उसने बतलाया मटके का इतिहास
समझाया उसने इस कला को
सांझा करा अपनी इस सलहा को
बतलाया उसने
केसा होता है मिट्टी का लिबास
केसे होती है मटके की उत्पत्ति
चलो बतलाते है तुम्हें भी क्या है...