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मेरे बाबा (पिताजी)
कभी उन्होंने बताया नहीं
कभी उन्होंने जताया नहीं
क्या है अभाव और क्या है हालात
खुद के लिए कभी उन्होंने
नई कमीज़ तक सिलाया नहीं
दिवाली होली आती रही जाती रही
जेब है खाली या भरी हुई
एहसास कभी उन्होंने कराया नहीं
हर दम हमेशा चेहरे पर मुस्कान लिए
सब ठीक है बच्चा ये बोलकर
हाल अपने दिल का कभी बताया नहीं
पिता की झिड़क में ही प्यार है
उनकी फिकर में भी प्यार है
मां की तरह प्यार जताना
उनकी तरह आंसू बहाना
शायद उन्होंने कभी सीखा नहीं
वृद्ध में वो बालक बन गए हैं
अब jidd भी करने लगे हैं
तो क्या हुआ संभाल लेंगे हम
उनके बच्चे हैं उनसे ही खुशियां हैं सारी
पापा आप बहुत प्यारे हो
मेरे आप वो किंग हो
जिनके सर पर कभी स्वर्णमुकूट
हमने कभी पहनाया नहीं
बिटिया आपकी अब आपकी मां भी है
समझ लीजिए भले ही मैंने समझाया नहीं
© Seema Ke Alfaaz
कभी उन्होंने जताया नहीं
क्या है अभाव और क्या है हालात
खुद के लिए कभी उन्होंने
नई कमीज़ तक सिलाया नहीं
दिवाली होली आती रही जाती रही
जेब है खाली या भरी हुई
एहसास कभी उन्होंने कराया नहीं
हर दम हमेशा चेहरे पर मुस्कान लिए
सब ठीक है बच्चा ये बोलकर
हाल अपने दिल का कभी बताया नहीं
पिता की झिड़क में ही प्यार है
उनकी फिकर में भी प्यार है
मां की तरह प्यार जताना
उनकी तरह आंसू बहाना
शायद उन्होंने कभी सीखा नहीं
वृद्ध में वो बालक बन गए हैं
अब jidd भी करने लगे हैं
तो क्या हुआ संभाल लेंगे हम
उनके बच्चे हैं उनसे ही खुशियां हैं सारी
पापा आप बहुत प्यारे हो
मेरे आप वो किंग हो
जिनके सर पर कभी स्वर्णमुकूट
हमने कभी पहनाया नहीं
बिटिया आपकी अब आपकी मां भी है
समझ लीजिए भले ही मैंने समझाया नहीं
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