खुदा तोह नहीं, मग़र उन्ही की नेमत हो।
कलमा सी नहीं, तैयब्ब सी ज़ाहिर हो,
मै काबिल तोह नहीं, तुम पकड़ से बाहिर हो,
तू चाहे प्यार ना कर,
सलाम कर, हर शाम कर,
रमज़ान भर,
ग़ुलाम हैं तेरे, तू बस अरमान कर,
रेहमत तोह नहीं, सकीना सी तेरी आवाज़,
दरख़्त से भी उची तेरी परवाज़।
© نافیس
मै काबिल तोह नहीं, तुम पकड़ से बाहिर हो,
तू चाहे प्यार ना कर,
सलाम कर, हर शाम कर,
रमज़ान भर,
ग़ुलाम हैं तेरे, तू बस अरमान कर,
रेहमत तोह नहीं, सकीना सी तेरी आवाज़,
दरख़्त से भी उची तेरी परवाज़।
© نافیس