...

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खुदा तोह नहीं, मग़र उन्ही की नेमत हो।
कलमा सी नहीं, ‏तैयब्ब सी ज़ाहिर हो,
‏मै काबिल तोह नहीं, ‏तुम पकड़ से बाहिर हो,
‏तू चाहे प्यार ना कर,
‏सलाम कर, ‏हर शाम कर,
‏रमज़ान भर,
‏ग़ुलाम हैं तेरे, ‏तू बस अरमान कर,
‏रेहमत तोह नहीं, ‏सकीना सी तेरी आवाज़,
‏दरख़्त से भी उची तेरी परवाज़।
‎© ‏نافیس ‏