ज़माना तो है दीवाना, चापलूसों का
कैसा कलयुग आया है,
सीखाते हैं पाठ, बच्चों को,
ईमानदारी और सच्चाई का।
पर दुनिया स्वयं चलती है,
धोखेबाजी, चापलूसी से।
स्वयं मैंने देखा है,
ईमानदारी और सच्चाई को,
मटियामेट होते।
ठीक इसके विपरीत,
अवसरवादी, धोखेबाजी, एवं...
सीखाते हैं पाठ, बच्चों को,
ईमानदारी और सच्चाई का।
पर दुनिया स्वयं चलती है,
धोखेबाजी, चापलूसी से।
स्वयं मैंने देखा है,
ईमानदारी और सच्चाई को,
मटियामेट होते।
ठीक इसके विपरीत,
अवसरवादी, धोखेबाजी, एवं...