दिल्लगी
भ्रम के साये में जिंदगी होती है,
जो पहली दफ़ा किसी से दिल्लगी होती है।
आँखों मे नए सपने होते हैं,
बातों से चाँद और तारे भी अपने ही होते हैं।
अरे! शाहब, वक्त तो बीतने दो...
उन गुनाहों का भी तुम्हारे ही सर ताज होगा,
जिनका पहली दफ़ा सुना अल्फ़ाज़...
जो पहली दफ़ा किसी से दिल्लगी होती है।
आँखों मे नए सपने होते हैं,
बातों से चाँद और तारे भी अपने ही होते हैं।
अरे! शाहब, वक्त तो बीतने दो...
उन गुनाहों का भी तुम्हारे ही सर ताज होगा,
जिनका पहली दफ़ा सुना अल्फ़ाज़...