किशोरावस्था
बाल्यकाल पूर्ण होने पर
किशोर काल जब आता हैँ
मन में नयी उमंगो के संग
परिवर्तन भी लाता हैँ |
खिलौने की अलमारी में जब
किताबें रखी जाती हैँ
कुछ अलग करने की अभिलाषा
मन में जोर लगाती हैँ |
ऐसा लगता हैँ तन में मानो
नवऊर्जा का संचार हुआ
दुनियां हो मुट्ठी में मेरी
मेरा नवाचार हुआ |
एकांतप्रेम की भावनायें
मन में आने लगती हैँ
मस्तिष्क में विचारों की
सुनामी छाने लगती हैँ |
वीर पूजा की भावना
अतिप्रबल हो जाती हैँ
सौंदर्य उपासना भी मन में
हिलकोरें खाने लगती हैँ |
विभिन्न शारीरिक परिवर्तन से
बच्चे गुजरा करते हैँ
मन में होते सवाल कई
पर कहने से कतराते हैँ |
मैं अलग क्यों अपनी सहेली से
ऐसे प्रश्न मन में उठते हैँ
जिज्ञासायों का हल ना हो तो
मन ही मन में कुढ़ते हैँ |
अभिभावकों की जिम्मेदारी
अब यहाँ बढ़ जाती हैँ
सही मार्गदर्शन ही
शंकाओं को सुलझाती हैँ |
पाठ्यक्रम बने ऐसा जो उनका
सर्वांगीण विकास करें
शिक्षक को चाहिए बच्चों से
मित्रवत व्यवहार करें |
ध्यान रहें यही अवस्था जीवन की
तूफानी अवस्था कहलाता हैँ
या तो संवर जाते हैँ बच्चें
या जीवन कुंठा से भर जाता हैँ ||
© shweta Singh
किशोर काल जब आता हैँ
मन में नयी उमंगो के संग
परिवर्तन भी लाता हैँ |
खिलौने की अलमारी में जब
किताबें रखी जाती हैँ
कुछ अलग करने की अभिलाषा
मन में जोर लगाती हैँ |
ऐसा लगता हैँ तन में मानो
नवऊर्जा का संचार हुआ
दुनियां हो मुट्ठी में मेरी
मेरा नवाचार हुआ |
एकांतप्रेम की भावनायें
मन में आने लगती हैँ
मस्तिष्क में विचारों की
सुनामी छाने लगती हैँ |
वीर पूजा की भावना
अतिप्रबल हो जाती हैँ
सौंदर्य उपासना भी मन में
हिलकोरें खाने लगती हैँ |
विभिन्न शारीरिक परिवर्तन से
बच्चे गुजरा करते हैँ
मन में होते सवाल कई
पर कहने से कतराते हैँ |
मैं अलग क्यों अपनी सहेली से
ऐसे प्रश्न मन में उठते हैँ
जिज्ञासायों का हल ना हो तो
मन ही मन में कुढ़ते हैँ |
अभिभावकों की जिम्मेदारी
अब यहाँ बढ़ जाती हैँ
सही मार्गदर्शन ही
शंकाओं को सुलझाती हैँ |
पाठ्यक्रम बने ऐसा जो उनका
सर्वांगीण विकास करें
शिक्षक को चाहिए बच्चों से
मित्रवत व्यवहार करें |
ध्यान रहें यही अवस्था जीवन की
तूफानी अवस्था कहलाता हैँ
या तो संवर जाते हैँ बच्चें
या जीवन कुंठा से भर जाता हैँ ||
© shweta Singh