...

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"बस सफर खुबसुरत हो.."


अंतिम घडी का नहीं
इस सफर का डर है
हार या जित का नहीं
तकलीफ का डर है

डर इस सफर का है की
ये कहा हमे ले जाएगा
हमे हमारी मंजिल तक पोहोचाएगा
या यही कही छोड जाएगा

मगर इस सफर ने सिखा दिया मुझे के
मेरा डर ही गलत था!
मुश्किल जरूर होता है ये सफर
मगर सिख तो इसिकी देन है
हार कर भी खाली हाथ नहीं लोटेंगे
ये उमीद भी इसीकी तो देन है

सफर कोई भी हो
अधुरा नहीं होता
अंजाम कुछ भी हो
ये हार तो नहीं होता

इसलीये,
अंत कोई भी हो
बस सफर खुबसुरत हो
हार हो या जित हो
बस सिख खुबसुरत हो....





© Srushti Mahajan