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#मिजाज #मौसम #जिंदगी
चटकीले गुलमोहर
पीले खिले है गुलर
शायद सूरज की तपन को
ललकार रहे हैं - रण मैदान को ।
भड़कीले मिजाज
करके धारण ये
अक्सर हौसलों की
बुलंदियों को करते हैं जाहिर ।
चुनौतियाँ अनगिनत
आती जाती रहती
कदम कदम जीवन में !
रूके-ठहरें तो मौत का पर्याय !!
अविरत संघर्ष,
जूझना, अस्तित्व के लिये
अबाधित अधिकार-जीव का !
कर्मशीलता की जीत-सिद्धांत सृष्टि का !!
परिवर्तन प्रकृति का
नियम अफर है सदा
आगे ही आगे बढना
स्वभाव इस मानव का भी रहा ।
मंजिले बदलती रहती
तकदीरें चाहे करवटें ले ले
खड़े हैं डटकर हम सदा
मुश्किलों से टकराने ।
© Bharat Tadvi
पीले खिले है गुलर
शायद सूरज की तपन को
ललकार रहे हैं - रण मैदान को ।
भड़कीले मिजाज
करके धारण ये
अक्सर हौसलों की
बुलंदियों को करते हैं जाहिर ।
चुनौतियाँ अनगिनत
आती जाती रहती
कदम कदम जीवन में !
रूके-ठहरें तो मौत का पर्याय !!
अविरत संघर्ष,
जूझना, अस्तित्व के लिये
अबाधित अधिकार-जीव का !
कर्मशीलता की जीत-सिद्धांत सृष्टि का !!
परिवर्तन प्रकृति का
नियम अफर है सदा
आगे ही आगे बढना
स्वभाव इस मानव का भी रहा ।
मंजिले बदलती रहती
तकदीरें चाहे करवटें ले ले
खड़े हैं डटकर हम सदा
मुश्किलों से टकराने ।
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