...

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तेरे संभलने का
है हकीकत बिन तेरे मुर्शद मैं कुछ नही
ले ले साँसे तो जिस्म ये जिस्म ही नही

कहता हूँ ख़ुद को कि हूँ मैं तेरा
मालूम है तुझें कभी तेरा हुआ ही नही

तेरे वचनो...