कल था और आज है
कल वक्त न था कुछ करने को,
आज वक्त है सबकुछ हासिल करने को।
कल मार्ग न था ओझल थी नज़रों से मंज़िल,
आज हज़ारों राह है और एक मंज़िल भी।
कल भी मैं यही खड़ा था बिना सहारे,
आज मेरी दौड़ है साथ सबके...
आज वक्त है सबकुछ हासिल करने को।
कल मार्ग न था ओझल थी नज़रों से मंज़िल,
आज हज़ारों राह है और एक मंज़िल भी।
कल भी मैं यही खड़ा था बिना सहारे,
आज मेरी दौड़ है साथ सबके...