🌺कृष्णमय संसार🌺
( Re-posting my old poem.यह कविता मेरे हृदय के बहुत करीब है और मुझे लगता है वर्ष 2018 में निश्चित रूप से स्वयं कृष्ण भगवान ने यह शब्द मेरे ज़ेहन में उतारकर लिखने को प्रेरित किया।)
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सृष्टि -दृष्टि, सूक्ष्म -स्थूल
सब प्राणों का कौन है मूल?
हो अनहद गूँज या विराट मौन,
भीतर बाहर विराजे कौन?
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सृष्टि -दृष्टि, सूक्ष्म -स्थूल
सब प्राणों का कौन है मूल?
हो अनहद गूँज या विराट मौन,
भीतर बाहर विराजे कौन?
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